पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जताया शोक
कल होगा अंतिम संस्कार
नई दिल्ली/ देहरादून। प्रखर भाजपा नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का आज नई दिल्ली में निधन हो गया वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज दिल्ली एम्स में हो रहा था। इस मौके पर उत्तराखंड प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरूण जेटली के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति तथा शोक संतप्त परिजनो को सांत्वना प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है।
अपने शोक सन्देश में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने श्री जेटली को पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल जी व प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की कैबिनेट का एक मजबूत स्तंभ बताते हुए कहा कि वे एक अनुभवी एवं कुशल राजनीतिज्ञ, उत्कृष्ट वक्ता, विधि विशेषज्ञ, योग्य प्रशासक एवं कुशल जन-नायक थे।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत के वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने व देश में वन टैक्स सिस्टम लागू करने के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में भी उनका बड़ा योगदान रहा है, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने श्री अरूण जेटली के निधन को देश के लिये अपूरणीय क्षति बताया है।
पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन हो गया। उनको बीते 9 अगस्त को दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया था। उस समय उनको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई कुछ साल पहले ही उनकी बैरियाट्रिक सर्जरी की गई थी। जेटली की हालत बीते शुक्रवार को ही बिगड़ गई थी। उनको सांस लेने में तकलीफ थी और उन्हें नौ अगस्त को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। उनका बीते गुरुवार को डायलसिस किया गया था।
अपने स्टाफ और सहयोगियों की सहायता करने में नहीं अरुण जेटली सदा आगे रहते थे। उनका मानना था कि दान वही, जो गुप्तदान हो और मदद वही, जो दूसरे हाथ को भी पता न चले। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली भी कुछ ऐसा ही किया भी करते थे। जेटली अपने निजी स्टाफ के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाते थे। उनके परिवार की देखरेख भी अपने परिवार की तरह ही करते थे, क्योंकि वे इन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते थे। दूसरी ओर, कर्मचारी भी परिवार के सदस्य की तरह जेटली की देखभाल करते थे। उन्हें समय पर दवा देनी हो या डाइट, सबका बखूबी ख्याल रखते थे।
जेटली ने एक अघोषित नीति बना रखी थी, जिसके तहत उनके कर्मचारियों के बच्चे चाणक्यपुरी स्थित उसी कार्मल काॅन्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं, जहां जेटली के बच्चे पढ़े हैं। अगर कर्मचारी का कोई प्रतिभावान बच्चा विदेश में पढ़ने का इच्छुक होता था तो उसे विदेश में वहीं पढ़ने भेजा जाता था, जहां जेटली के बच्चे पढ़े हैं। ड्राइवर जगन और सहायक पद्म सहित करीब 10 कर्मचारी जेटली परिवार के साथ पिछले दो-तीन दशकों से जुड़े हुए हैं। इनमें से तीन के बच्चे अभी विदेश में पढ़ रहे हैं।
जेटली परिवार के खान-पान की पूरी व्यवस्था देखने वाले जोगेंद्र की दो बेटियों में से एक लंदन में पढ़ रही हैं। संसद में साए की तरह जेटली के साथ रहने वाले सहयोगी गोपाल भंडारी का एक बेटा डॉक्टर और दूसरा इंजीनियर बन चुका है। इसके अलावा समूचे स्टाफ में सबसे अहम चेहरा थे सुरेंद्र। वे कोर्ट में जेटली के प्रैक्टिस के समय से उनके साथ थे। घर के ऑफिस से लेकर बाकी सारे काम की निगरानी इन्हीं के जिम्मे थे। जिन कर्मचारियों के बच्चे एमबीए या कोई अन्य प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते थे, उसमें जेटली फीस से लेकर नौकरी तक का मुकम्मल प्रबंध करते थे। जेटली ने 2005 में अपने सहायक रहे ओपी शर्मा के बेटे चेतन को लॉ की पढ़ाई के दौरान अपनी 6666 नंबर की एसेंट कार गिफ्ट दी थी।
जेटली वित्तीय प्रबंधन में सावधानी बरतते थे। एक समय वे अपने बच्चों (रोहन व सोनाली) को जेब खर्च भी चेक से देते थे। इतना ही नहीं, स्टाफ को वेतन और मदद सबकुछ चेक से ही देते थे। उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस के समय ही मदद के लिए वेलफेयर फंड बना लिया था। इस खर्च का प्रबंधन एक ट्रस्ट के जरिए करते थे। जिन कर्मचारियों के बच्चे अच्छे अंक लाते हैं, उन्हें जेटली की पत्नी संगीता भी गिफ्ट देकर प्रोत्साहित करती हैं।
अरुण जेटली के निधन पर देश-विदेश के अनेकों दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि तथा उनके शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी है। कल रविवार को उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया जाएगा।
जेटली जी की टाइम लाइन TOI के सौजन्य से साभार।