हरियाणा, बिहार सहित महाराष्ट्र में भी बीजेपी की हालत डांवाडोल

हरियाणा, बिहार सहित महाराष्ट्र में भी बीजेपी की हालत डांवाडोल



देहरादून। वर्तमान में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों के साथ-साथ बिहार में भी एक लोकसभा और पांच विधानसभाओं के उपचुनाव मैं मतों की गिनती हो रही है।
हरियाणा में जहां एक और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है लेकिन सत्ता की चाबी किसके पास रहेगी यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। मतों की गणना के रुझान से ऐसा लगता है कि चौटाला परिवार के दो हिस्से दुष्यंत चौटाला और ओम प्रकाश चौटाला दोनों ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ओर अग्रसर हैं। जहां दुष्यंत चौटाला की जेपीपी को 10 या उससे अधिक सीटें प्राप्त होने की रुझान दिखाई दे रहे हैं वही चौटाला परिवार का दूसरा ग्रुप ही लाइन में खड़ा हुआ है। जबकि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में 39 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं तो कांग्रेश भी 32 सीटों पर बढ़त के साथ अपना दवा ठोके हुए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अगर चौटाला परिवार के दोनों ही से एकीकृत होकर मैदान में आ जाएंगे दो बीजेपी को सत्ता बचाना मुश्किल हो जाएगा।
हरियाणा चुनावों के वर्तमान रुझान अगर सीटों में बदल जाते हैं तो भी बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 7अतिरिक्त सीटों की आवश्यकता होगी तो कांग्रेस को 14 सीटों की आवश्यकता पड़ेगी ऐसी स्थिति में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही दुष्यंत चौटाला की बाट और राह जोहनी होगी। बताया जा रहा है कि दोनों राष्ट्रीय दलों बीजेपी और कांग्रेस ने दुष्यंत चौटाला को अपनी और खींचने के लिए उन्हें आकर्षक ऑफर देने शुरू कर दिए हैं शायद यही लोकतंत्र का तकाजा है।


उधर महाराष्ट्र में भी बीजेपी शिवसेना गठजोड़ को पहले जैसा वर्चस्व मिलता दिखाई नहीं दे रहा है हालांकि यहां भी बीजेपी 100 सीटों पर बढ़त के रुझान के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है जिसके साथ 63 सीटों पर बढ़त के साथ शिवसेना खड़ी है तो कांग्रेस सत्ता की दहलीज से काफी पीछे दिखाई दे रही है। उसे मात्र 52 सीटों पर ही बढ़त हासिल है। इस तरह से महाराष्ट्र में भी एनसीपी और निर्दलीयों की महत्वाकांक्षा बलवती हो सकती है। विश्लेषकों के द्वारा तो यह भी कहा जा रहा है कि सत्ता का गठजोड़ कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के रूप में भी दिखाई दे सकता है। हालांकि अंतिम तस्वीर पूरे परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी।
बिहार में हुए एक लोकसभा और 5 विधानसभा चुनावों की बात करें तो पांचों विधानसभाओं में से भाजपा और जनता दल यूनाइटेड को एक-एक सीट ही प्राप्त हुई है इस प्रकार एनडीए बिहार में कमजोर होता हुआ दिखाई दे रहा है हालांकि बिहार में हुए चुनावों को 2020 में होने वाले विधानसभा चुनावों का पूर्वाभ्यास माना गया था और यह भी कहा गया था कि एनडीए बिहार में और अधिक ताकतवर होकर रहेगा लेकिन यहां 3 सीटों पर हार के साथ एनडीए कमजोर होता दिख रहा है यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह उभर कर आई है की असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को भी एक सीट मिली है। जो जनता के बदलते हुए मूड को बता रही है।