रामसेतु का निर्माण भारतीय इंजिनियरों ने किया था -केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री

राम सेतु का निर्माण भारतीय इंजिनियरों ने किया था -मानव संसाधन मंत्री



देहरादून/खड़कपुर। श्री रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हरिद्वार उत्तराखंड जो केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री भी हैं और अनेकों पुस्तकों के रचयिता डॉक्टरेट की मानद उपाधि लिए हुए हैं और उनकी मृत्यु भाषा शैली बेहद प्रभावित करती है हालांकि हाल ही में उनके कुछ बयान आए हैं जिस पर लोगों को अचरज लगा हाल ही में उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को चरक ऋषि की देन बताया था। इसी क्रम में आईआईटी खड़कपुर में हुए  दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में श्री निशंक ने रामसेतु पर एक विचित्र सा बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि रामसेतु जर्मनी या अमेरिका के किसी  इंजीनियर ने नहीं बनाया बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया है जिससे पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है अपनी बात को उन्होंने उपस्थित आईआईटीयंस से उठता कराने के लिए उनकी स्वीकृति भी चाहिए और उन्होंने पूछा कि यह ठीक है।


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के 65वें सालाना दीक्षांत समारोह में उस समय सन्नाटा छा गया, जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने अपने संबोधन में दावा किया कि राम सेतु को भारतीय इंजीनियरों ने बनाया था।
केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को खचाखच भरे आईआईटी खड़गपुर सभागार में अपने संबोधन में कहा, “कोई इस तथ्य से इंकार कर सकता है कि हमारे देश में विकसित टेक्नोलॉजी थी और महान इंजीनियर थे। अगर आप राम सेतु की बात करें, तो क्या इसे जर्मनी या अमेरिका के इंजीनियरों ने बनाया था। इसे भारतीय इंजीनियरों ने बनाया था।” 


उनकी इस बात पर दर्शकों में सन्नाटा छा गया। जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो केंद्रीय मंत्री निशंक ने कहा, “ठीक है…. सही है? उन्होंने कहा कि क्या इसमें कोई संदेह है कि पुरातन काल में भारत के पास कुशल इंजीनियर थे।
मानव संसाधन मंत्री ने आईआईटी खड़गपुर के दीक्षांत समारोह में संस्कृत को देव भाषा बताते हुए संस्कृत को दुनिया की सबसे पुरातन भाषा होने का दावा किया और बताया कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय विषपान करके दुनिया की रक्षा की थी  इसीलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। अपने वक्तव्य की समर्थन में उन्होंने बताया कि एक सेमिनार में उन्होंने बताया था कि आज हिमालय उनके स्थान पर लोगों द्वारा छोड़े गए प्रदूषण का विष पी रहा है। उन्होंने भविष्य में बोलने वाले कंप्यूटर बनाने की भी कल्पना की।
एक अन्य संदर्भ में बोलते हुए मानव संसाधन मंत्री ने बताया कि जब हम गंगा को मां कहते हैं अथवा वृक्षों को देवता कहते हैं तो लोग हमें लकीर का फकीर बताते हैं लेकिन आज दुनिया में पानी की उपलब्धि एक गंभीर समस्या है जो हमारे द्वारा मां गंगा की सुरक्षा न कर पाने के कारण हुई है उन्होंने बताया कि हमारे पुरातन संदर्भ विज्ञान पर आधारित थे।