मझधार में झूल रहा है इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक का अस्तित्व

मझधार में झूल रहा है इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक का अस्तित्व



नई दिल्ली/देहरादून। 650 शाखाओं और 3250 एक्सेस प्वांइंट्स के साथ डाकघर में पोस्टल पेमेंट बैंक(आईपीपीबी) की परिकल्पना को वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने मूर्त रूप दिया था। इस परिकल्पना की रूपरेखा आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने तैयार की थी जो डिफरेंसिएटिड बैंक का आईडिया लेकर आए थे। इस योजना के अंतर्गत बैंक लोन तथा बैंकों द्वारा दी जाने वाली कई सेवाएं उपलब्ध नहीं कराई जाती थी तथा इन्हें ₹1लाख से अधिक के डिपॉजिट लेने की अनुमति नहीं है। लेकिन यह बैंकिंग सेवाओं के देश के दूरदराज के इलाकों में मदद कर सकते हैं।
पोस्टल सूत्रों का कहना है कि पेमेंट बैंक का मॉडल शुरुआत से ही दोषपूर्ण था साथ ही प्रौद्योगिकी पर भारी खर्च किया गया था। पेमेंट बैंक की कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) तथा इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी पर जरूरत से अधिक खर्च किया गया। इसके अलावा कर्मचारियों पर आने वाली लागत भी बढ़ती गई जिससे आईपीपीबी की कार्यप्रणाली को गहरा आघात लगा।
पिछले साल जोर-शोर से शुरू किए गए इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) अब अपने अस्तित्व को खोता हुआ नजर आ रहा है या फिर उसके लिए संघर्ष करता हुआ दिखाई दे रहा है। हालात यह है कि कारोबार ना के बराबर है। जिसकी वजह से बैंक कर्मचारियों को उनकी सैलरी देने में भी असमर्थ दिखाई दे रहा है। पोस्टल डिपार्टमेंट को अब लग रहा है कि आईपीपीबी की सेवाएं व्यावहारिक हैं और उसे नई भर्तियां बंद कर दी हैं। पोस्टल डिपार्टमेंट ने आरबीआई से इस व्यवस्था को स्माल फाइनेंस बैंक में बदलने की मंजूरी के लिए आग्रह किया हुआ है और अपेक्षा की जा रही है कि नए साल के प्रारंभ में आरबीआई की अनुमति मिल जाएगी जिससे वह अपना पुनर्पूंजीकरण कर सके तथा 1लाख से अधिक की डिपाजिट स्वीकार करने के साथ-साथ ग्राहकों को लोन देने में भी समर्थ हो सके।