सभी पापों को हरने वाले जयंती योग में मनेगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी

सभी पापों को हरने वाले जयंती योग में मनेगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी



देहरादून। हिंदू समाज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व का विशेष महत्व है  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार  बाल रूप में भगवान कृष्ण ने जन्म लेकर इस धरती को पाप से मुक्त करने के लिए अवतार लिया था।


श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागार में हुआ था। उनके जन्म के अवसर पर हर वर्ष इस तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाता है,  मााताा देवकी के गर्भ  से जन्म लेने के समय कृष्ण के माता-पिता कंस की जेल में बंदी थे। भगवान कृष्ण के जन्म से पूर्व ही राजा कंस को यह आकाशवाणी हो गई थी की उसकी मृत्यु का कारण स्वयं उसकी अपनी बहन के गर्भ से जन्म लेने वाला है।


 भगवान कृष्ण के जन्म के समय उनके दैहिक माता पिता कारागार में बेड़ियों से जकड़े हुए किंतु महामाया  देवी भगवती की कृपा से बेड़िया ही नहीं अपितु कारागार के सब द्वार भी स्वत: खुल गए और उनके पिता वासुदेव उन्हें यमुना पार करा कर नंद-यशोदा के यहां ले गए इस बीच भगवान कृष्ण के चरण स्पर्श को आतुर यमुना अपने उफान पर आ गई परंतु चरण स्पर्श करते ही वासुदेव का मार्ग निष्कंटक कर दिया।


श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विधि विधान से की गई पूजा और व्रत का विशेष महत्व है इस दिन की गई पूजा-प्रार्थना और उपवास से मनुष्य के सब पाप धुल जाते हैं।


इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 23 तारीख को अष्टमी रोहिणी नक्षत्र के साथ जयंती योग बन रहा है जिसे सब पापों को नष्ट करने वाला बताया गया है  24 तारीख को प्रातः 8.23 से नवमी तिथि प्रारम्भ होगी। अत: कृष्ण जन्माष्टमी 23 तारिख को ही मनाया जाएगा।


इस वर्ष जन्म कराने का मुहूर्त रात्रि में 10:44 से 12:40 के मध्य है। जन्म कराने के शुभ समय में भगवान के प्रकट होने की भावना करके उनकी विधि विधान से पूजा करें। पूजन में देवकी, वसुदेव, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा, और लक्ष्मी- इन सबका क्रमश: नाम जरूर लेना चाहिए।


वसुदेवात् तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नम:।।


सपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं मे गृहाणेमं नमोSस्तु ते।'