अजब-गजब: मोटर वाहन नियमों का अनुपालन बना दिया मजाक

अजब-गजब: मोटर वाहन नियमों का अनुपालन बना दिया मजाक



देहरादून। केंद्र सरकार द्वारा पारित मोटर वाहन अधिनियम संशोधन 2019 के 1 सितंबर से लागू होने के बाद देशभर से तरह तरह की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही हैं उड़ीसा में पेट्रोल-डीजल की  मांग में भारी कमी की सूचना प्राप्त हुई। एक ट्रक पर छ: लाख से अधिक का जुर्माना लगने की बात सामने आई। पुलिस वालों द्वारा अनावश्यक रूप से वाहन चालकों की पिटाई और वसूली की बातें भी सामने आई।
वहीं आज उत्तर प्रदेश से एक अनोखी घटना सामने आई है जिसमें वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से एक मारुति सुजुकी अल्टो अल्टो धारक को सूचना दी गई कि उसकी बोलेनो कार 144 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से अर्थात निर्धारित गति से बहुत तेज चल रही थी इसलिए उसका चालान किया जाता है। वाहन स्वामी ने उ.प्र.पुलिस को ट्वीट करते हुए वापस जवाब दिया  कि उसके पास पास 9 साल पुरानी मारुति अल्टो कार कार है जिसे वह पुलिस को देकर यह देखना चाहेगा कि क्या पुलिस वाले उस कार को 144 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चला सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो वह जुर्माने के ₹2000 देने को तैयार है। वाहन  स्वामी के अनुसार उसकी मारुति सुजुकी अल्टो 144 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार की रफ्तार की रफ्तार से चल ही नहीं सकती, जो स्वभाविक भी है।
वाहन स्वामी द्वारा किया गया ट्वीट
Dear @uptrafficpolice You have filed a wrong #challan with my car no. I drive an Alto and you have registered a Baleno driving at 144kmph with my car no. Sir, you can take my 9-year old Alto for a driven try to touch 144kmph with it. If you can do it, I will pay Rs 2k as fine. (sic)"


SarkDeb@SarkDeb


Dear @uptrafficpolice You have filed a wrong #challan with my car no. I drive an Alto and you have registered a Baleno driving at 144kmph with my car no.


Sir, you can take my 9-year old car for a drive n try to touch 144kmph with it. If you can do it, I will pay Rs 2k as fine.


पर प्रदेश पुलिस की इस घटना से पुलिस कर्मियों पर अनेकों प्रश्न उठ रहे रहे पर अनेकों प्रश्न उठ रहे रहे हैं साथ ही व्यवस्था भी सवालों के दायरे में है नागरिकों से उनके  अपराधों  अथवा गलत कार्यों के लिए दंड वसूलना प्रशासन का दायित्व हो सकता है लेकिन अकारण ही किसी नागरिक को प्रताड़ित करना अथवा उससे अनायास ही वसूली करना अथवा उसके जीवन यापन में किसी भी प्रकार से बाधा उत्पन्न करना यह न्याय  और संविधान के विपरीत है।