इंडोनेशिया में विवाहेतर यौन संबंधों के लिए अपराध संहिता पर प्रस्तावित मतदान स्थगित 

इंडोनेशिया में विवाहेतर यौन संबंधों के लिए अपराध संहिता पर प्रस्तावित मतदान स्थगित 




  • इंडोनेशिया में सैक्स व अश्लीलता पर उपनिवेश काल का अपराध कानून 'किताब उडांग-उडांग हुकूम पिडाना' (केयूयूएचपी) लागू


इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने सहमति से भी बनाए गए विवाहेतर यौन संबंध को अपराध घोषित करने के उद्देश्य से संशोधित अपराध संहिता पर प्रस्तावित मतदान को फिलहाल स्थगित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने मतदान को टालने की घोषणा करने के बाद गत शुक्रवार को एक टेलीविज़न साक्षत्कार में कहा, " कुछ ऐसी विषय वस्तुएं हैं जिनका गहनता से अध्ययन करने की आवश्यकता है।" संशोधित कानून पर इसी सप्ताह मतदान होना था। 
नए कानून के तहत विवाहेतर यौन संबंध बनाने के अपराध के लिए एक साल जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे व्यभिचारी व्यक्तियों के खिलाफ आरोपी व्यक्तियों के परिजनों या ग्राम प्रमुख की शिकायत पर मुकदमा शुरू किया जा सकता है। 


ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि नए कानून का इस्तेमाल एलजीबीटी समुदाय और सेक्स वर्कर्स के खिलाफ किया जाएगा। यह कानून इंडोनेशिया में विदेशी सैलानियों सहित हर किसी पर लागू होगा, जिससे बाली जैसे टूरिस्ट हॉटस्पॉट प्रभावित होंगे। 


कानून में अश्लील हरकत करने, निर्लज्जता और अशालीन आचरण के लिए भी जेल की सजा के प्रावधान हैं। अभी तक इंडोनेशिया में नीदरलैंड के उपनिवेश काल का अपराध कानून 'किताब उडांग-उडांग हुकूम पिडाना' (केयूयूएचपी) लागू है। 


सरकार ने 628 अनुच्छेदों वाले संशोधित मसौदे को गत सप्ताह बुधवार को अंतिम रूप दिया था और इस पर 24 सितम्बर को मतदान प्रस्तावित था। हालांकि यह संशोधित कानून पारित होने के दिन से दो साल बाद लागू होगा। प्रोसपेरस जस्टिस पार्टी के नेता नासिर ज़मील ने रायटर से बातचीत में विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को अपने नागरिकों को वैसे आचरण से संरक्षित रखना चाहिए। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है, जहां इस्लामिक मान्यताएं प्रचलित हैं। 


प्रस्ताविक कानून में अविवाहित जोड़ों के लिव-इन में रहने को भी दंड के दायरे में रखा गया है। इसके लिए छह माह की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने के पीछे की मंशा निकाह-पूर्व सेक्स पर रोक लगाना है। 


इसमें नाबालिगों के लिए गर्भ रोकने के बारे में कुछ दिखाने, पेश करने, प्रसारित करने अथवा कुछ लिखने पर रोक लगायी गयी है, इस प्रकार यौन जागरूकता एवं स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियों के आदान-प्रदान पर भी प्रतिबंध रहेगा।


इस मसौदे में मेडिकल इमरजेंसी अथवा बलात्कार की स्थिति को छोड़कर अन्य मामलों में गर्भपात को भी अपराध बनाया है और इसके लिए चार साल जेल की सजा निर्धारित की गयी है। संशोधित संहिता में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सरकार या सरकारी संस्थानों अपमानित करने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जो अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात है। 


इंडोनेशिया के नागरिकों को डर है कि इस प्रावधान से शांतिपूर्ण तरीके से भी राजनीतिक विचारधारा अपनाने के उनके अधिकारों में कटौती होगी। रोचक तथ्य यह है कि इसी तरह का एक कानून इंडोनेशिया की संवैधानिक अदालत ने 2006 में निरस्त कर दिया है। जुआ खेलने और मादक पदार्थ रखने के लिए भी कठोर जुर्माना की व्यवस्था की गयी है। 


ऐसा लगता है कि इंडोनेशियाई नागरिकों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किये जाने के कारण मतदान को टालने का निर्णय लिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति विडोडो से इस मामले में हस्तक्षेप करने तथा मसौदे को पारित होने से रोकने का अनुरोध किया था। 


इंडोनेशिया के इस प्रस्तावित कानून की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी कड़ी आलोचना की है। आस्ट्रेलियाई सरकार ने इस संशोधित कानून का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए अपने नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी किया है। ह्यूमैन राइट्स वाच ने प्रस्तावित कानून की आलोचना करते हुए कहा है, "मसौदा महिलाओं, धार्मिक अल्पसंख्यकों, एलजीबीटी के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। लाइव ला से साभार।