नए मोटर वाहन नियम लागू होने के बाद उड़ीसा में पेट्रोल-डीजल की मांग में भारी कमी

नए मोटर वाहन नियम लागू होने के बाद उड़ीसा में पेट्रोल-डीजल की मांग में भारी कमी




  • शुरुआती चार दिनों में ही ओडिशा को 88 लाख रुपये चालान से मिल चुके थे।


एक सितंबर से लागू नए मोटर वाहन नियमों के चलते ओडिशा में पेट्रोल और डीजल की मांग बेहद  कम हो गई है। इसकी वजह नए नियमों के अंतर्गत लगने वाले भारी जुर्माने को बताया जा रहा है भारी जुर्माने के डर से कम गाड़ियां सड़कों पर आ रही हैं फलस्वरूप पेट्रोल डीजल की खपत भी कम हुई है जिसका सीधा असर राज्य के राजस्व पर हो रहा है।


उत्कल पेट्रोलियम डीलर्स असोसिएशन के जनरल सेक्रटरी संजय लाठ  के अनुसार
"पेट्रोल और डीजल मिलाकर, साढ़े 16 लाख लीटर ईंधन की बिक्री में कमी आई है। इसकी वजह से सरकारी खजाने को करीब पांच करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मोटर वीइकल ऐक्ट, 2019 के लागू होने के कारण हर दिन 4,08,000 लीटर पेट्रोल और 12,45,000 लीटर डीजल की बिक्री कम हुई है।"
लाठ ने कहा कि
"राज्य को पेट्रोल पर हर रोज़ 58 लाख रुपये के राजस्व का घाटा हो रहा है। 81 लाख रुपये की एक्साइज ड्यूटी का भी नुकसान हो रहा है। डीजल में राज्य सरकार को रोज़ाना 1,78,00,000 रुपये और केंद्र सरकार को 1,97,00,000 रुपये का घाटा हो रहा है।"


उन्होंने कहा कि हालांकि इस बारे में कुछ भी पुख़्ता कहने के लिहाज से ये काफी जल्दबाजी है। आंकड़ों का सैंपल साइज भी काफी छोटा है। और ये पहले के मुकाबले कम गाड़ियां सड़क पर उतरने वाली बात यूनिफॉर्मल हो, बाकी जगहों पर भी ऐसा ही हाल हो, ये भी अभी नहीं कहा जा सकता है।


मोटर वाहन अधिनियम के नए नियमों में जुर्माने की रकम काफी ज़्यादा रखी गई है। 1 सितंबर से ही लगातार भारी-भरकम चालान से जुड़ी ख़बरें आ रही हैं। आंकड़ों के मुताबिक, शुरुआती चार दिनों में ही ओडिशा को 88 लाख रुपये चालान से मिल चुके थे। बाकी राज्यों से ज़्यादा है ये रकम। ओडिशा के परिवहन विभाग ने अलग से एक कॉल सेंटर भी शुरू किया है। ताकि मोटर वाहन अधिनियम से जुड़ी लोगों की शिकायतें और परेशानियां सुनी जा सकें।