नए मोटर वाहन नियमों से घबराने की नहीं उन्हें समझने की आवश्यकता है।

नए मोटर वाहन नियमों से घबराने की नहीं उन्हें समझने की आवश्यकता है।




  • आरोपी चालान में लगाए गए आरोपों से इंकार कर सकता है।

  • चालान सक्षम अधिकारी द्वारा ही किया जा सकता है, कांस्टेबिल-पीआरडी-होमगार्ड को चालान काटने का अधिकार नहीं।

  • डिजिटल भुगतान ही करें, नगद नहीं, किसी वजह से नगद भुगतान करना पड़े तो पूरे पैसे की रसीद आवश्य लें।

  • वाहन के दस्तावेज आन स्पाट दिखाना आवश्यक नहीं, नियम में 15 दिन के भीतर सक्षम अधिकारी को दिखाए जा सकते हैं वाहन के दस्तावेज।

  • जहाँ तक हो चालान का भुगतान कोर्ट के आदेश पर ही करें।चालान बनाने में अनेकों अनियमितताएं होती हैं, जिसका लाभ कोर्ट में ही मिल सकता है।

  • महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी प्रकार के शुल्क की वसूली से संग्रहित किया गया धन टैक्स के समान नहीं होता जिसे सरकार या कोई भी सरकारी एजेंसी अपने मनमाने तरीके से अथवा विवेक से उपयोग में ला सकें इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि टैक्स के हजारों करोड़ रुपए जो वर्तमान में देश भर में वसूले जाते हैं अथवा भविष्य में लाखों-करोड़ों वसूले जाएंगे उन्हें केवल और केवल यातायात सहूलियतों के लिए ही उपयोग में लाया जाए जिसके लिए प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्रियों को समय-समय पर ज्ञापन दिया जाना चाहिए।


देहरादून। हालांकि उत्तराखंड में  संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 2019  के सापेक्ष अध्यादेश जारी नहीं हुआ है  इसलिए नया मोटर वाहन अधिनियम उत्तराखंड प्रदेश में अभी लागू नहीं हो सकता है। वर्तमान में प्रदेश भर में  पुराने मोटर वाहन नियमों के अनुसार ही चालान किए जा सकते हैं। उसमें भी  चालन तभी वैध वैध होते हैं जब वह कोर्ट के द्वारा पारित किए गए हों।  फिर भी  नए अधिनियम के संबंध में सभी वाहन चालकों को दिए गए  प्रावधानों को जान लेना चाहिए ।
नया मोटर वाहन अधिनियम(संशोधन) 2019 लागू होने के बाद लोगों में तरह-तरह के संशय हैं। कई तरह की भ्रांतियों के साथ डर का माहौल भी पनप रहा है।
दूसरी तरफ सरकार का मानना है कि लोगों में भय का होना बहुत जरूरी है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि लोगों में कानून के प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए उनके मन में भय और खौफ का होना बहुत जरूरी है इसके बिना शासन का संचालन मुश्किल हो जाता है।
ज्ञात हो कि हाल ही में केंद्र सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करके 1 सितंबर से नए नियम लागू कर दिए हैं और वह नियमों के उल्लंघन पर 10 गुना तक अधिक जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है इतना ही नहीं एक साथ कई नियमों के उल्लंघन पर कुल जुर्माना आरोपित व्यक्ति से वसूला जाना है। ऐसी राशि कुछ स्थानों पर हुए चरणों को देखते को देखते हुए 50 से 60 हजार तक भी आ रही है जो एक सामान्य नागरिक के लिए बहुत ज्यादा है और इसका विरोध लोगों ने करना शुरू कर दिया है।
वाहन चालान के लिए बनाए गए नियमों के मुताबिक वाहन चालक द्वारा वाहन नियमों का उल्लंघन करने पर मौके पर उपलब्ध संबंधित अधिकारी को चालान काटने का अधिकार है लेकिन नए वह नियमों के अनुसार जिस वाहन चालक का चालन करता करता है चालान पर उसके हस्ताक्षर लेना अनिवार्य है साथ ही मौके पर उपलब्ध किसी गवाह के हस्ताक्षर लेना भी अनिवार्य है। यह भी महत्वपूर्ण है कि चालान सक्षम अधिकारी द्वारा ही काटा जा सकता है कोई भी पुलिस कांस्टेबल, पीआरडी-होमगार्ड का जवान चालान काटने के लिए अधिकृत नहीं है।
वह नियमों के अनुसार के अनुसार चालान को आरोपी द्वारा स्वीकार अथवा है स्वीकार करने का करने का स्वीकार करने का करने का भी प्रावधान है ई चालान नगद अथवा ऑनलाइन जमा करने का भी प्रावधान है किंतु यदि चला करता आरोपी से नगद चालान जमा करवाता है तो उसकी रसीद भी नगद चालान जमा करवाता है तो उसकी रसीद भी उसे चालान स्थल पर जारी करनी चाहिए। ऐसा न करने के प्रकरणों में अधिकारिक रूप से से (उत्तराखंड पुलिस विभाग के संबंध में) यह जानकारी प्राप्त हुई है कि ऐसा पैसा राजकोष में तो क्या किसी बैंक खाते में भी जमा नहीं होता और यह पैसा विभागीय अधिकारियों के विवेकाधीन रह जाता है वे उसे अपने मनमाफिक खर्च करते हैं जबकि क्या खर्च करते हैं जबकि क्या पैसा जनता का पैसा है और कानून के अनुसार ऐसे पैसे को उसी को उसी मद में खर्च किया जाना अपेक्षित है जिसमें वह वसूला गया है अर्थात जनता को वाहन चालन वह यातायात की सहुलियतें उपलब्ध कराने में।


यातायात अधिकारी द्वारा काटे गए चालान पर संबंधित अधिकारी का नाम पदनाम संपर्क नंबर दिया जाना प्रावधानित है जबकि आमतौर पर इन नियमों का अनुसरण नहीं किया जाता जिससे आरोपियों को अपना वाद संचालित करने में असुविधा होती है।


उधर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विनय कुमार गर्ग और एडवोकेट रोहित श्रीवास्तव का कहना है किडीएल-आरसी नहीं दिखाने पर तत्काल चालान नहीं काट सकती। सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के नियम 139 में प्रावधान किया गया है कि वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए  15 दिन का समय दिया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस तत्काल उसका चालान नहीं काट सकती है।


नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद से वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस सर्टीफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट तत्काल नहीं दिखाने पर ताबड़तोड़ चालान करने की खबरें आ रही हैं। हालांकि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के मुताबिक अगर आप ट्रैफिक पुलिस को मांगने पर फौरन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), इंश्योरेंस सर्टिफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) और परमिट सर्टिफिकेट नहीं दिखाते हैं, तो यह जुर्म नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विनय कुमार गर्ग और एडवोकेट रोहित श्रीवास्तव ने बताया कि सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के नियम 139 में प्रावधान किया गया है कि वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस तत्काल उसका चालान नहीं काट सकती है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर चालक 15 दिन के अंदर इन दस्तावेजों को दिखाने का दावा करता है, तो ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ अधिकारी वाहन का चालान नहीं काटेंगे। इसके बाद चालक को 15 दिन के अंदर इन दस्तावेजों को संबंधित ट्रैफिक पुलिस या अधिकारी को दिखाना होगा।
एडवोकेट श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट 2019 की धारा 158 के तहत एक्सीडेंट होने या किसी विशेष मामलों में इन दस्तावेजों को दिखाने का समय 7 दिन का होता है। इसके अलावा ट्रैफिक कानून के जानकार लॉ प्रोफेसर डॉ राजेश दुबे का कहना है कि अगर ट्रैफिक पुलिस आरसी, डीएल, इंश्योरेंस सर्टीफिकेट, पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट तत्काल नहीं दिखाने पर चालान काटती है, तो चालक के पास कोर्ट में इसको खारिज कराने का विकल्प रहता है।
सीनियर एडवोकेट गर्ग का कहना है कि अगर ट्रैफिक पुलिस गैर कानूनी तरीके चालान काटती है, तो इसका मतलब यह कतई नहीं होता है कि चालक को चालान भरना ही पड़ेगा। ट्रैफिक पुलिस का चालान कोई कोर्ट का आदेश नहीं हैं। इसको कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अगर कोर्ट को लगता है कि चालक के पास सभी दस्तावेज हैं और उसको इन दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय नहीं दिया गया, तो वह जुर्माना माफ कर सकता है।
एडवोकेट रोहित श्रीवास्तव ने बताया कि चालान में एक विटनेस के साइन होना भी जरूरी है। कोर्ट में मामले के समरी ट्रायल के दौरान ट्रैफिक पुलिस को विटनेस पेश करना होता है। अगर पुलिस विटनेस पेश नहीं कर पाती है, तो कोर्ट चालान माफ कर सकती है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर मामलों में पुलिस विटनेस पेश नहीं कर पाती है और इसका फायदा चालक को मिलता है।