रामलला मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील को मिली धमकियां, सुप्रीम कोर्ट सख्त

रामलला मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील को मिली धमकियां, सुप्रीम कोर्ट सख्त



नई दिल्ली। रामलला विराजमान मामले में  सुप्रीम कोर्ट में  पिछले 18 दिनों से लगातार दैनिक आधार पर  सुनवाई हो रही है  हिंदू पक्ष के  तर्क  सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे जा चुके हैं और बाबरी  मस्जिद के पक्षकार अपनी बात न्यायालय के सामने रख रहे हैं। इस दौरान आज 18वें दिन बाबरी मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता राजीव धवन ने न्यायालय को बताया कि उसे कुछ लोगों द्वारा धमकी दी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अयोध्या भूमि विवाद मामले में 18वें दिन सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि तमिलनाडु और राजस्थान के दो लोगों की ओर से उन्हें धमकियां मिल रही हैं। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी किया।


धवन ने याचिका में कहा है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से पैरवी करने पर तमिलनाडू के प्रोफेसर एन षण्मुगम की ओर से उन्हें 14 अगस्त को धमकी भरा पत्र मिला था। जबकि राजस्थान के संजय कलाल बजरंगी ने उन्हें वॉट्सऐप पर मैसेज भेजा था। धवन के मुताबिक, आरोपियों ने उनके साथ घर और कोर्ट परिसर में रोक-टोक करने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील के साथ इस तरह का बर्ताव कोर्ट की अवमानना औरआपराधिक मामला है।


मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि आजादी और संविधान की स्थापना के बाद किसी भी धार्मिक स्थान का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। महज स्वयंभू होने के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं कि अमुक स्थान किसी का है। सुप्रीम कोर्ट से कहना मैं चाहूंगा कि इस मामले में तथ्यों के आधार पर फैसला दिया जाए। 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से विवादित जमीन पर कब्जा किया था। तब वक्फ निरीक्षक कि ओर से इस पर रिपोर्ट भी दी गई थी।


धवन ने कहा कि आज अयोध्या पर सुनवाई का18वां दिन है और 18वें दिन से कोर्ट में महाभारत शुरू हो रही है। धवन ने 18वां दिन इसलिए कहा, क्योंकि बीच में एक दिन सुनवाई टाली गई थी। इससे पहले धवन ने पिछली सुनवाइयों के दौरान अपने व्यवहार पर कोर्ट से माफी भी मांगी थी। धवन ने सप्ताह के बीच में बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शुक्रवार को ब्रेक लेने की अनुमति दी।


सोमवार को 17वें दिन की सुनवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा किविवादित स्थल पर मंदिर का कोई सबूत नहीं है। भारतीय पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण (एएसआई) भी यह साबित नहीं कर पाया है। हिंदू पक्षकारों ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने की दलील दी है, लेकिन यह कोई सबूत नहीं है।