रेप के आरोपी चिन्मयानंद यानी कृष्ण पाल सिंह का  पूरा खुलासा। 23 सितम्बर को है कोर्ट में पेशी।

रेप के आरोपी चिन्मयानंद यानी कृष्ण पाल सिंह का  पूरा खुलासा। 23 सितम्बर को है कोर्ट में पेशी।



देहरादून/इलाहाबाद। कहने को तो चिन्मयानंद स्वामी कहलाते थे और भी बड़ी संख्या में अपने भक्तों के प्रेरणा स्रोत भी हैं शाहजहांपुर मैं उनका एक आश्रम है और वहां उनका एक लॉ कॉलेज भी है।
80 के दशक में चिन्मयानंद अपने मूल गांव गौंड़ा के परसपुर क्षेत्र के त्योरासी रमईपुर को छोड़कर दिल्ली चले गए थे। बताया जाता है कि मनकापुर में पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करने के दौरान एक दिन झांकी देखने के लिए कृष्णपाल सिंह उर्फ चिन्मयानंद दिल्ली गए थे तो वहां से लौटे ही नहीं। वर्षों तक परिवार वालों से दूर और गुमनामी में रहकर कृष्णपाल ने संत की पदवी भी हासिल की और सियासी हलकों में भी काफी नाम और पद कमाया।


कहते हैं ना कि शोहरत और महत्वाकांक्षा दोनों ऐसी चीजें हैं जो व्यक्ति को कहीं ना कहीं, किसी ना किसी मोड़ पर झंझोड़ कर रख देती हैं ऐसा ही कुछ कृष्णपाल सिंह उर्फ चिन्मयानंद के साथ हुआ और वह अपने भक्तों के साथ ही रासरंग में डूब गया।


चिन्मयानंद ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम. ए. की डिग्री हासिल की थी। चिन्मयानंद का शाहजहांपुर में आश्रम है और वहीं उनका एक लॉ कॉलेज भी है है।  1980 के दशक में चिन्मयानंद शाहजहांपुर आ गए थे और स्वामी धर्मानंद के शिष्य बनकर उनके आश्रम में आश्रम में रहने लगे धर्मानंद के गुरु स्वामी सुखदेवानंद ने ही मुमुक्षु आश्रम की नींव रखी थी। इन्हीं दिनों श्री राम जन्मभूमि न्यास का आंदोलन जोर पकड़ने लगा था। श्री राम जन्मभूमि जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. रामविलास. रामविलास वेदांती के अनुसार चिन्मयानंद राम मंदिर आंदोलन से जुड़े थे आंदोलन से जुड़े थे और 1988 से 1990 के दौरान वह राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लेते रहे थे।


सूत्रों के अनुसार चिन्मयानंद ने योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ के साथ मिलकर राम मंदिर मुक्ति यज्ञ समिति भी बनाई थी और इसी के जरिए यह लोग राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने लगे। बाद में दूसरे बड़े संत रामविलास वेदांती और रामचंद्र परमहंस समेत तमाम संतों को भी राम मंदिर आंदोलन से जोड़ लिया।  7 अक्टूबर 84 को चिन्मयानंद ने सरयू तट पर रामजन्मभूमि आंदोलन का संकल्प लिया। 19 जनवरी 1986 को वह राम जन्मभूमि आंदोलन समिति के स्वामी निश्चलानंद के अधिष्ठाता पद छोड़ने के बाद में मुमुक्षु आश्रम आ गए।


बताया जाता है कि 80 के दशक में स्वामी धर्मानंद के बाद स्वामी चिन्मयानंद इस आश्रम और उससे जुड़े संस्थानों का प्रबंधन की जिम्मेदारी का निर्वाह करते हैं। चिन्मयानंद ने ही शाहजहांपुर में मोक्ष शिक्षा संकुल नाम से एक ट्रस्ट बनाया जिसके जरिए कई शिक्षण संस्थाओं का संचालन किया जाता है। जिसमें पब्लिक स्कूल से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट स्तर तक के कालेज शामिल हैं।


राम मंदिर आंदोलन को करीब से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषक बृजेश शुक्ला के अनुसार राम मंदिर आंदोलन के दौरान उनका शौक राजनीतिक रहा। उनका महिलाओं से संसर्ग वाला रूझान शुरू से ही रहा है। इनके कई आश्रम है।


चिन्मयानंद ने अटल सरकार के समय दावा किया था कि वे पूर्वांचल की समस्या को हल कर देंगे। इसी कारण अटल जी ने सब कुछ होने के बावजूद इन्हें राज्य मंत्री का दायित्व दिया। इनका महिलाओं से नाता वाला पक्ष कमजोर ही रहा और यह सदैव महिलाओं की तरफ झुकते हुए दिखाई दिए। काफी समय पहले भी इनका एक महिला के साथ हाथापाई करते हुए वीडियो वायरल हुआ था।


चिन्मयानंद बदायूं लोकसभा से पहली बार सांसद चुने गए इसके बाद 1998 में मछली शहर और 1999 में जौनपुर से सांसद चुने गए। इसके बाद बाजपेई सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाए गए गए बनाए गए गए।


स्वामी चिन्मयानंद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अपना करीबी बताते रहे हैं भाजपा में इनकी सक्रियता लगातार बनी रहती थी। इसी कारण उन्होंने 2014 में लोकसभा का टिकट मांगा था लेकिन उन्हें कुछ अपने ही नेताओं के कारण यह टिकट नहीं मिला। भाजपा में उनका सक्रिय प्रभाव तब कम हो गया जब 8 साल पहले उन पर यौन शोषण के आरोप लगे और मुकदमा दर्ज हुआ। आरोप लगाने वाली महिला शाहजहांपुर में स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी।


उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस ले लिया गया, लेकिन विपक्ष ने सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी जिसके चलते चिन्मयानंद को इस मामले में अभी स्थगन आदेश मिला हुआ है। स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एल एल एम की छात्रा ने 24 अगस्त को एक वीडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण और कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने के आरोप लगाया साथ ही उसने  उसे व उसके परिवार को जान का खतरा बताया था। वीडियो सामने आने के बाद छात्रा लापता हो गई थी इस मामले में 25 अगस्त को पीड़िता के पिता की ओर से कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने की धाराओं में की स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया गया था। इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने 5 करोड रुपए की रंगदारी मांगने का भी जुर्म दर्ज करा दिया था।
30 अगस्त को पीड़िता और उसके एक दोस्त को राजस्थान से बरामद कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीड़िता को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया और कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की जिसके अंतर्गत 16 सितंबर को पीड़िता की ओर से दिल्ली पुलिस को शिकायत पर संज्ञान लेते हुए धारा 164 में उसका बयान बयान उसका बयान दर्ज कराया। एसआईटी ने मोबाइल पेनड्राइव और गवाहों के मोबाइल चेक करने को फॉरेंसिक लैब भेजा। छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद पर करीब 9 महीने तक दुष्कर्म का वीडियो बनाने का वीडियो बनाने, उन्हें गायब कर साक्ष्य मिटाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। 20 सितंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने चिन्मयानंद को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें कोर्ट ने 14 दिन के लिए जेल भेज दिया है। 23 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चिन्मयानंद की पेशी है।