काले धन के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिली बड़ी सफलता, स्विट्जरलैंड ने दी अहम जानकारी

काले धन के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिली बड़ी सफलता, स्विट्जरलैंड ने दी अहम जानकारी




  • 2018 से पूर्व बंद हो चुके खातों की सूचना भी मिलेगी


नई दिल्लीस्विट्जरलैंड के बैंक खातों में जमा भारतीयों के काले धन से जुड़ी पहली जानकारी भारत सरकार को मिल गई है। स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एईओआई पर ग्लोबल स्टैंडर्ड्स फ्रेमवर्क के तहत फाइनैंशल अकाउंट्स पर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया है।


काले धन के खिलाफ लड़ाई में भारत को बड़ी सफलता मिली है। स्विस बैंक में जमा भारतीयों के काले धन से जुड़ा पहले दौर का विवरण स्विट्जरलैंड ने भारत को सौंप दिया है, जिसमें सक्रिय खातों की भी जानकारी शामिल है। स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (FTA) ने 75 देशों को एईओआई के वैश्विक मानदंडों के तहत वित्तीय खातों के ब्योरे का आदान-प्रदान किया है, जिनमें भारत भी शामिल है।


एफटीए ने समझौते में शामिल देशों को कुल 31 लाख खातों का विवरण भेजा है, जबकि इन देशों से उसे 24 लाख जानकारियां मिली हैं। इन जानकारियों में आइडेंटिफिकेशन, खाते तथा पैसों से जुड़ी जानकारी शामिल हैं। इनमें नाम, पता, नैशनलिटी, टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर, वित्तीय संस्थानों से जुड़ी सूचनाएं, खाते में पड़े पैसे और कैपिटल इनकम शामिल हैं।
एफटीए के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत को पहली बार एईओआई ढांचे के तहत खातों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। इसमें उन खातों की सूचना दी जाएगी जो अभी सक्रिय है। इसके अलावा, उन खातों का ब्योरा भी उपलब्ध कराया जाएगा जो 2018 में बंद किए जा चुके हैं। प्रवक्ता ने कहा कि इस व्यवस्था के तहत अगली सूचना सितंबर, 2020 में साझा की जाएगी। एफटीए ने हालांकि भारत से जुड़ी किसी खास जानकारी को देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह गोपनीयता से जुड़ा मामला है।


कई बैंक अधिकारियों और नियामकीय अधिकारियों ने नाम गोपनीय रखने के अनुरोध के साथ कहा कि ये जानकारियां मुख्यत: कई दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों, अमेरिका, ब्रिटेन, कुछ अफ्रीकी देशों तथा दक्षिण अमेरिकी देशों में रह रहे अनिवासी भारतीयों समेत व्यवसायियों से संबंधित हैं। बैंक अधिकारियों ने माना कि कभी पूरी तरह से गोपनीय रहे स्विस बैंक खातों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर शुरू हुई मुहिम के बाद पिछले कुछ सालों में इन खातों से भारी स्तर पर पैसे निकाले गए और कई खाते बंद हो गए। हालांकि, साझा की गई जानकारियों में उन खातों की भी सूचनाएं शामिल हैं, जिन्हें 2018 में बंद करा दिया गया।


इसके अलावा, भारतीय लोगों के कम से कम 100 ऐसे पुराने खाते भी हैं, जिन्हें 2018 से पहले ही बंद करा दिया गया। स्विट्जरलैंड इन खातों की जानकारियों को भी यथा शीघ्र साझा करने की प्रक्रिया में है। ये खाते वाहन कल-पुर्जा, रसायन, वस्त्र, रीयल एस्टेट, हीरा एवं आभूषण, इस्पात आदि कारोबार से जुड़े लोगों से संबंधित हैं। नियामकीय अधिकारियों ने कहा कि स्विस बैंकों से प्राप्त जानकारियों के विश्लेषण में उन सूचनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो राजनीतिक संपर्क रखने वाले लोगों से संबंधित हैं।


स्विस नैशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा जमा रकम 2018 में लगभग छह फीसदी घटकर 6,757 करोड़ रुपये रही थी। बीते दो दशक में जमा रकम का यह दूसरा निचला स्तर है। साल 2018 में तमाम विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंक में जमा रकम चार फीसदी से ज्यादा घटकर 99 लाख करोड़ रुपये रही। बैंक फॉर इंटरनैशनल सैटलमेंट (बीआईएस) के 'लोकेशनल बैंकिंग स्टैटिस्टिक्स' के मुताबिक, साल 2018 में भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में जमा रकम में 11 फीसदी की गिरावट आई है।


स्विस बैंक में धन जमा करने वाले देशों की सूची में भारत दुनियाभर में 74वें पायदान पर है, जबकि ब्रिटेन का पहला स्थान है। स्विट्जरलैंड स्थित बैंक द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। पिछले साल भारत 15 पायदान की छलांग के साथ सूची में 73वें स्थान पर था।


स्विस बैंक में धन जमा करने वालों की रैंकिंग में दूसरे स्थान पर अमेरिका, तीसरे स्थान पर वेस्ट इंडीज, चौथे स्थान पर फ्रांस तथा पांचवें स्थान पर हॉन्गकांग है। इस बैंक में जमा 50% से अधिक धन इन्हीं पांचों देशों के लोगों का है। बैंक में जमा लगभग दो तिहाई धन सूची में शामिल शीर्ष 10 देशों के लोगों का है। टॉप 10 देशों के अन्य देशों में बहामास, जर्मनी, लक्जमबर्ग, कायमान आइलैंड्स और सिंगापुर शामिल हैं।