प्रदेश में घपले-घोटालों पर होगी हाई रिस्क आडिट की नज़र

प्रदेश में घपले-घोटालों पर होगी हाई रिस्क आडिट की नज़र



देहरादून। प्रदेश में वित्त विभाग पहली बार हाई रिस्क ऑडिट करने जा रहा है। सामान्य ऑडिट से अलग हाई रिस्क ऑडिट में वित्त विभाग उन मामलों की पड़ताल अधिक व्यापक रूप से करेगा, जहां उसे बड़े घपले-घोटालों की आशंका नजर आ रही है। विभाग ने ऐसे कुछ मामलों का चयन भी कर लिया है। विभाग के इस कदम को जीरो टॉलरेंस की ओर बढ़ाया गया कदम भी माना जा रहा है। 


सचिव वित्त एवं नियोजन, अमित नेगी के अनुसार ऑडिट विभाग के मुताबिक हाई रिस्क ऑडिट (उच्च जोखिम लेखा परीक्षा) में यह भी देखा जाएगा कि संबंधित संस्था या विभाग में अनियमितता या घपलों और घोटालों की रोकथाम के लिए नियंत्रण का तंत्र क्या है और इस तंत्र में कमियां क्या हैं? जिनकी वजह से घपलों की आशंका बन सकती है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका वाले मामले भी हाई रिस्क ऑडिट में शामिल किए जा रहे हैं।


इन लेखा परीक्षाओं के लिए ऑडिट विभाग ने अपनी तरफ से दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। इन निर्देशों में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि हाई रिस्क ऑडिट में घपले और घोटालों की आशंका को ध्यान में रखते हुए भी ऑडिट किया जाए। घपले और घोटालों को भी स्पष्ट किया गया है। वित्त विभाग का कहना है कि कई बार सामान्य ऑडिट में कुछ मामले सामने आते हैं, जिनकी गहराई से पड़ताल होने पर किसी बड़े घोटाले का मामला सामने आता है।
वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार इन विभागों और मामलों का होगा हाई रिस्क ऑडिट


1. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय देहरादून और हरिद्वार।
2. उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण।
(इनमें पिछले कई साल से ऑडिट हुआ ही नहीं। इसी वजह से इन तीनों मामलों को हाई रिस्क ऑडिट में रखा गया है।)
3. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार
(पिछले कुछ समय से कई मामले सामने आए हैं।)
4. सिंचाई खंड काशीपुर।
(वित्तीय अनियमितता एवं टीडीएस कटौती के कई मामले सामने आए हैं।)
5. पीटीए शिक्षक एवं अन्य शिक्षकों के मामले।
(इस ऑडिट को लेकर भी वित्त विभाग खासा संजीदा है। यहां नियम विरुद्ध नियुक्ति से लेकर नियमितीकरण तक के मामले की लेखा परीक्षा होनी है। यही वजह है कि इसको हाई रिस्क ऑडिट में रखा गया है।)
6. नदेही चीनी मिल और डोईवाला चीनी मिल।
(डोईवाला चीनी मिल में कुछ समय पहले ही विवाद सामने आया था। इसी तरह से नदेही का मामला भी है।)
7. बीएचएल गृह निर्माण समिति हरिद्वार।
(वित्त विभाग के मुताबिक इस समिति में पहले भी ऑडिट हुआ, लेकिन यहां करोड़ों के घपले की आशंका है।)
8. प्रभारी चिकित्साधिकारी कर्मचारी राज्य बीमा औषद्यालय रुद्रपुर।
(यहां दवा से लेकर अन्य कई तरह के मामले सामने आए हैं।)


सामान्य ऑडिट की तुलना में हाई रिस्क ऑडिट करने से वित्तीय अनियमितता से लेकर गबन तक के मामलों को पकड़ा जा सकेगा। हाई रिस्क ऑडिट के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं।