प्रदूषण के नाम पर आम आदमी को एक और झटका देने की तैयारी में सरकार

प्रदूषण के नाम पर आम आदमी को एक और झटका देने की तैयारी में सरकार



नई दिल्ली। पुराने वाहन आमतौर पर लोग  अपने आर्थिक परिस्थितियों, आवश्यकता और शौक शौक को देखते हुए रखते हैं। केंद्र सरकार पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण के नाम पर देशवासियों को और एक और बड़ा झटका देने जा रही है। अगर आप भी 15 साल से पुराना वाहन चला रहे हैं तो आपको भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। जी हां, एक तो इतने पुराने वाहनों की मेंटेनेंस और दोबारा रजिस्ट्रेशन पर 25 गुना तक ज्यादा दी जाने वाली फीस एक नए वाहन से भी ज्यादा महंगी पड़ सकती है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित वाहनों के "स्वैच्छिक स्क्रैपिंग ऑफर" अगर सरकार ने स्वीकार कर लिया तो आपके वाहन की निर्धारित आयु सीमा के बाद  उसे पुनः पंजीकृत कराने के लिए आपको अपने वाहन हेतु निर्धारित शुल्क से 25 गुना तक ज्यादा दाम चुकाने होंगे।


सड़क परिवहन मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि वह पुराने निजी वाहनों की दोबोरा रजिस्ट्री कराने की फीस में 25 फीसद की बढ़ोतरी की जाए। इतना ही नहीं, और पुराने कमर्शियल वाहनों की वार्षिक फिटनेस की फीस में 125 फीसद तक की वृद्धि की जा सकती है। ऐसे में सभी विभागों को मिनिस्ट्री ने इस बारे में नीतिगत दस्तावेज भेजकर उनकी राय मांगी है। बता दें, सरकार अपने इस नियम को साल 2020 के मध्य से लागू कर सकती है। इसके अलावा सरकार ने स्क्रैपिंग के लिए अप्रूव्ड सेंटर्स बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।


नया प्रस्ताव अगर लागू होता है तो 15 साल पुराने निजी वाहनों की दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने की फीस में इजाफा किया जाएगा। दोपहिया और तिपहिया वाहनों की रिन्युअल फीस 2,000 से 3,000 रुपये हो सकती है। वहीं चार पहिया वाहनों की मौजूदा फीस 600 रुपये से बढ़कर 15,000 रुपये हो सकती है। बता दें, नया पंजीकरण निजी वाहनों पर पांच साल के लिए वैध रहता है।


इसके अलावा नए प्रस्ताव के मुताबिक 15 साल से अधिक पुराने ट्रक या बस के फिटनेस टेस्ट की फीस 200 रुपये से बढ़कर 25 हजार रुपये हो सकती है। वहीं, कैब और मिनीट्रक के लिए ये फीस 15 हजार से 20 हजार रुपये हो सकती है। कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट कराना हर साल करवाना अनिवार्य है। कहा जा रहा है सड़क परिवहन मंत्रालय ने यह सुझाव दिया है कि वाहन सड़क पर चलने में फिट है या नहीं, इसका फैसला सिर्फ फिटनेस टेस्ट के जरिए किया जाएगा, ना कि वाहन की उम्र से।