रिंग रोड का फुटपाथ फल-सब्जी ठेलियों के नाम

रिंग रोड का फुटपाथ फल-सब्जी ठेलियों के नाम



यथा राजा तथा प्रजा तो अक्सर सुनते आए हैं, परंतु राजा एक तरफ स्मार्ट सिटी की बात करे और दूसरी तरफ प्रमुख सड़कों पर ठेलियां लगवाए तो इस दोहरे चरित्र से आम आदमी के मध्य क्या संदेश जाएगा यह कहना कठिन नहीं है। प्रदेश के मुखिया के इस दोहरे चरित्र को देखते हुए प्रदेश के अन्य लोग नहीं सड़कों का अतिक्रमण और अधिक बढ़ा देंगे जबकि पहले ही पुलिस विभाग ने जगह-जगह पार्किंग के नाम पर सड़कों के फुटपाथ हथियार रखे हैं। जिस पर शासन प्रशासन आंख बंद किए हुए हैं जिससे माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश भी बौने साबित हो रहे हैं।



  • मुख्यमंत्री जी कुछ तो सोच लेते क्या होगा इस एरिया का भविष्य मे.. गुंडे आयेंगे, माहोल खराब होगा हम खुद भी परेशान रहते हैं इस माहौल से।


नत्थनपुर क्षेत्र में 6 नंबर पुलिया रिंग रोड जो रायपुर, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, हरिद्वार रोड को, क्लॉक टावर, और  माल देवता रोड को जोड़ती है उसके पास है 6 नंबर पुलिया रिंग रोड का चौराहा, अति व्यस्त और दुर्घटनाओं की संभावना से भरपूर। जहां एक 30 फुट चौड़ी रोड पर दिन भर ट्रैफ़िक रहता है। इस सड़क को पार करना अपने आप में दुर्घटनाओं को दावत देने के समान है यहां बड़ी संख्या में प्रदेश से बाहरी क्षेत्रों के लोग आकर बस चुके हैं। आए दिन इस चौराहे पर एक्सीडेंट होते रहते हैं, यहां सड़क क्षेत्र (फुटपाथ) को रुपए 108000 मे 80 से 100 बाहरी लोगों को आवंटित कर दिया गया है जिसमें से रुपए 30000 एडवांस लेकर एक फल-सब्जी ठेली उन्हें दे दी गई है, कहना है स्थानीय निवासियों का।


एक ठेली वाले कुशाल पान सैनी के अनुसार "हमे नगर निगम ने दी है पक्की दुकान। रु‌ 30000 देने पर, बाकी किस्तों मे देंगे महीने का किराया भी देंगे जी बाकी 78000 धीरे धीरे देते रहेंगे। सैनी के अनुसार ठेलियां पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवंटित की गई हैं। 
आवंटित ठेलियों से क्षेत्र का वातावरण एकदम बदल सा गया है जहां रात भर ये ठेली वाले अपने माल की बिक्री को चिल्लाते रहते हैं।सड़क पर फल सब्जी खरीदने वालों की भीड़ रहती है सो अलग जिससे समय-समय पर इस सड़क पर चलने वाला ट्रैफिक भी बाधित होता है और दुर्घटनाओं की संभावना रहती है खासतौर से बच्चे और वृद्ध जो इस सड़क को पार करके फल सब्जी लेने आते हैं, उनके लिए यह सड़क और सड़क पर स्थापित ठेलियां वरदान की जगह अभिशाप बन सकती हैं।
क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि 'शोर गुल अलग, एक्सीडेंट अलग, रोड जाम अलग, क्या है ये दून?क्या है ये स्मार्ट सिटी? भाई जब रोड ही बिकने लगे तो क्या होगा'?
स्थानीय निवासियों का मानना है कि अगर मुख्यमंत्री जी को देना था तो अलग से लाडपुर मे स्वर्गीय रानी और राजा की जमीन है बहुत जहां सरकार ने अपने बहुत विभाग बना रखे हैं और एक बेहतरीन शराब का ठेका भी बना रखा है वहां उपलब्ध खाली जगह में सब्जी मंडी या सरकार द्वारा आवंटित ठेलियों के खड़े होने की जगह बनाई जा सकती थी जिससे किसी भी प्रकार के भीड़-भाड़ अथवा दुर्घटनाओं की संभावनाएं न रहती।
जिला फुटबाल एसोसिएशन देहरादून के प्रमुख कोच श्री वीरेंद्र सिंह रावत के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा आवंटित ठेलियों के लिए इसी क्षेत्र में खाली जगह जहां पूर्व में फुटबॉल ग्राउंड बना हुआ था और जो अब शराब का ठेका खुलने के बाद शराबियों के जमावड़े की जगह बन गई है उसे नगर निगम द्वारा आवंटित ठेलियों को खड़ा करने के लिए दिया जा सकता था। 
सरकार की सोच स्थानीय लोगों को नहीं भा रही है। वे नगर निगम के इस ठेली अभियान को मुख्यमंत्री की सोच मानकर उन्हें ही इसका जिम्मेदार मान रहे और भविष्य में घटित हो सकने वाली दुर्घटनाओं की संभावनाओं को देखते हुए चिंतित हैं। लोगों के अनुसार मुख्यमंत्री जी कुछ तो सोच लेते क्या होगा इस एरिया का भविष्य मे.. गुंडे आयेंगे, माहोल खराब होगा हम खुद भी परेशान रहते हैं इस माहौल से।
मुख्यमंत्री जी, इनको अलग से ग्राउंड दीजिए रोड से हटकर जी!!!