सड़क दुर्घटनाओं के मामलों को भारतीय दण्ड संहिता में भी दर्ज किया जाए-सुप्रीम कोर्ट
- वाहनों की तेजी से बढ़ती संख्या की वजह से सड़क दुर्घटना में घायलों और मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।”
नई दिल्ली। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले अब संभल जाएं। अब इस अपराध के लिए मोटर वाहन अधिनियम के तहत ही नहीं भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धाराओं के तहत भी सजा सुनाई जा सकती है।
खतरनाक और लापरवाही से ड्राइविंग के चलते होने वाली मौतों की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में यह व्यवस्था दी है। मोटर वाहन अधिनियम की तुलना में आइपीसी के तहत सख्त सजा का प्रावधान है।
सड़कों पर लापरवाही से ड्राइविंग के चलते बढ़ती दुर्घटनाओं को रेखांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सड़कों पर होने वाले अपराध के मामलों में मोटर वाहन अधिनियम के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के तहत भी मुकदमा चलाया जा सकता है। आईपीसी के तहत मोटर वाहन दुर्घटनाओं के दोषियों की सजा, मोटर वाहन अधिनियम की तुलना में किए गए अपराध से ज्यादा कठोर और सामानुपातिक है।
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, “अदालत ने समय-समय पर मोटर वाहन दुर्घटनाओं के जिम्मेदार दोषियों को सख्त सजा देने के प्रावधान की जरूरत पर जोर दिया है। वाहनों की तेजी से बढ़ती संख्या की वजह से सड़क दुर्घटना में घायलों और मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।”
जस्टिस इंदू मल्होत्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, 'यह अदालत मोटर वाहन दुर्घटनाओं के आरोपितों को सख्त दंड दिए जाने की आवश्यकता पर समय-समय पर जोर देती रही है। वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते भारत में सड़क हादसों में लोगों के घायल होने और मारे जाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।'
शीर्ष अदालत ने असम, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश की निचली अदालतों को दिए गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश को भी रद कर दिया। हाई कोर्ट ने निचली अदालतों से कहा था कि सड़क दुर्घटना से संबंधित मामलों की सुनवाई मोटर वाहन अधिनियम के तहत ही किया जाए आइपीसी की धाराओं के तहत नहीं।