सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने इस केस की सुनवाई से झाड़ा पल्ला

सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने इस केस की सुनवाई से झाड़ा पल्ला



नई दिल्ली। गौतम नवलखा मामले में ऐसा क्या है जिससे पाँच न्यायाधीशों  ने  इस मामले की सुनवाई से ही पल्ला झाड़ना पड़ा। 1 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ में गौतम नवलखा मामले की सुनवाई थी। जिसमें मुख्य न्यायाधीश ने स्वयं को सुनवाई से अलग कर दिया। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई स्वयं को उक्त मामले की सुनवाई से अलग करने के बाद यह केस न्यायमूर्ति एन. वी. रमन, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी व न्यायमूर्ति बी. आर. गवंई की पीठ में प्रस्तुत हुआ लेकिन पूरी पीठ ने ही इस मामले से स्वयं को अलग रखने का निर्णय लिया। इसके बाद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति  विनीत शरण एवं न्यायमूर्ति रविंद्र भट्ट की पीठ में सुनवाई हेतु रखा गया किंतु न्यायमूर्ति भट्ट ने भी इस मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया। इस प्रकार कुल पाँच न्यायमूर्तियों ने अब तक स्वयं को इस मामले की सुनवाई से पृथक किया है।
दरसल मुम्बई उच्च न्यायालय द्वारा गौतम नवलखा एक्टिविस्ट के विरुद्ध एल्गर परिषद के बाद अगले ही  दिन 31 दिसम्बर 2017 को कोरागांव में हुए दंगों के बाद जनवरी 2018 में एफ आई आर दर्ज की थी।जिसकी सुनवाई में मुम्बई उच्च न्यायालय ने नवलखा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था, जिसके विरुद्ध नवलखा के अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने मा. सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। एल्गर परिषद के बाद 31 दिसम्बर 2017 में हुए दंगों के अतिरिक्त पुलिस का यह भी दावा है कि नवलखा व उसके साथियों के माओवादियों के साथ सम्बंध हैं और वे सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए काम कर रहे हैं, इसलिए पुलिस ने उनपर यूएपीए और आईपीसी में मामले दर्ज किये हैं।


हालांकि नवलखा मामले की सुनवाई से स्वयं को पृथक करने के सम्बंध में किसी भी न्यायमूर्ति ने कारणों को स्पष्ट नहीं किया है किंतु अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार न्यायमूर्ति भट्ट सम्भवत: नवलखा से सम्बंधित एक संस्था, "पिपुल्स यूनियन फार डेमोक्रेटिक राइट्स" के लिए काम कर  चुके हैं। सम्भवत: इसलिए उन्होंने स्वयं को इस वाद से अलग कर लिया होगा। नवलखा की नजरबंदी से राहत की सीमा शुक्रवार को समाप्त हो रही है। उसी दिन यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए रखा गया है।