जिला पत्रकार स्थाई समिति में मानकों का हुआ खुला उल्लंघन, अध्यक्ष को सदस्यों से कहना पड़ा कि वे पत्रकारों की समस्याओं से संबंधित मुद्दे उठाएं

 जिला पत्रकार स्थाई समिति में मानकों का हुआ खुला उल्लंघन, अध्यक्ष को सदस्यों से कहना पड़ा कि वे पत्रकारों की समस्याओं से संबंधित मुद्दे उठाएं



देहरादून। सूचना विभाग के अंतर्गत जिला पत्रकार स्थाई समिति का गठन किया जाता है जिसमें पूर्व स्थापित मानकों के अनुसार वरिष्ठ पत्रकारों को रोस्टर के आधार पर सदस्य बनाया जाता है इस समिति में जिला स्तरीय पत्रकारों की समस्याओं को जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के माध्यम से निस्तारित  करने का प्रयास किया जाता है।
 यूं तो पिछले कई वर्षों से ऐसी किसी बैठक का आयोजन नहीं हुआ है तो भी पूर्व में जो मुद्दे निर्धारित हो चुके थे उन पर अभी तक कोई अभी तक कोई अमल होता हुआ नजर नहीं आया है और ना ही इस बैठक में शामिल हुए पत्रकारों द्वारा ऐसा कोई मुद्दा उठाया गया जो जिला अधिकारी स्तर का हो अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का पुलिस प्रशासन के स्तर का अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का हो अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का पुलिस प्रशासन के स्तर का अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का स्तर का हो अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का पुलिस प्रशासन के स्तर का अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का हो अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का पुलिस प्रशासन के स्तर का अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का अथवा पुलिस प्रशासन के स्तर का स्तर का का। ऐसा प्रतीत होता है कि समिति में केवल जी हुजूरी करने वाले पत्रकारों को ही शामिल किया गया या फिर वे पत्रकारों की समस्याओं से अनभिज्ञ थे।
जिला सूचना अधिकारी द्वारा अचानक बिना किसी सूचना के अथवा वरिष्ठ पत्रकारों से बिना किसी सलाह मशविरा के पत्रकार स्थाई समिति का गठन कर दिया गया, जिसकी जानकारी मिलने पर जिला सूचना अधिकारी से चर्चा के दौरान यह निष्कर्ष निकला कि "जो हो गया सो हो गया", अब आगे देखेंगे क्या होता है इससे जिला सूचना अधिकारी की कार्यशैली का आभास होता है। उन्हें यह बताया गया था कि एक रोस्टर व्यवस्था व्यवस्था पूर्व से स्थापित है तथा 1 एजेंडा रजिस्टर पूर्व से बना हुआ है जिसमें पहले कई मुद्दे पारित भी हो चुके थे लेकिन जिला सूचना अधिकारी जो शायद स्थानांतरण के उपरांत  देहरादून कार्यालय से कार्यमुक्त होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, ने इस विषय को हल्के में ले कर कर अगले साल नई कमेटी तक प्रतीक्षा करने के लिए कहा। 
ज्ञात हो कि लगभग 3-4 साल पहले जिला स्तरीय  प्रेस मान्यता कार्ड जिलाधिकारी स्तर से से बनने का निर्णय हुआ था। इस समिति में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को शामिल किए जाने का निर्णय किया गया था तथा पत्रकारों को समाचार संकलन के लिए सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय लिया गया था। समिति में सदस्यों की संख्या बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया था लेकिन आज वह एजेंडा एजेंडा रजिस्टर ऐसे गायब हो चुका है  जैसे गधे के सिर से सींग।


बैठक में वरिष्ठ पत्रकार संजय कंडवाल ने कहा कि प्रशासन से पूर्ण सहयोग प्राप्त होता रहा है, समिति के सम्मुख वास्तविक मुद्दे रखने की बात कही, उन्होंने पत्रकारिता के नाम का दुरूयोग करने वालो के विरूद्ध कार्यवाही करने का अनुरोध किया।


वरिष्ठ पत्रकार राज कमल  गोयल ने जिलाधिकारी के संज्ञान में लाया कि कई छोटे समाचार पत्रों द्वारा अपने संस्थान ऐसे लोगों को भी परिचय पत्र बना दिये जाते हैं, जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही है पर कार्यवाही करने का अनुरोध किया।


रामानुज प्रेस मान्यता की बैठक शीघ्र कराने का अनुरोध जिलाधिकारी से किया। 


नरेश रोहिला ने जिलाधिकारी से अनुरोध किया कि विभिन्न महत्वपूर्ण अवसरों पर छोटे समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों को भी जाए, जिससे वे लोग भी शासन-प्रशासन की बात को अपने पाठकों तक पंहुचा सकें।


बैठक में समिति के सदस्यों द्वारा रखे गए, बिंदुओं का संज्ञान लेने से यह स्वत: स्पष्ट हो जाता है कि समिति में कैसे लोगों को रखा गया है और वे पत्रकारों की समस्याओं से कितना सरोकार रखते हैं।