देहरादून का जहरीली शराब कांड: निगेहबानों पर कब होगी कार्यवाही
देहरादून। 20-21 सितंबर के दर्दनाक हादसे में राजधानी देहरादून के पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब पीने से 7 व्यक्तियों की हुई मृत्यु ने जनमानस को झकझोर दिया था। जहरीली शराब परोसने वाला व्यक्ति बीजेपी का ही एक नेता पूर्व पार्षद अजय सोनकर उर्फ घोंचू निकला जिसे पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है और उस पर गैंगस्टर कानून लगाया गया है । घौंचू के साथी राजा नेगी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
बताया जाता है कि मोहल्ले के लोग घोंचू की हरकतों के बारे में पहले भी कई बार पुलिस प्रशासन से शिकायत कर चुके थे लेकिन घोंचू के प्रभावशाली होने के कारण उसके विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती थी किंतु इस प्रकरण में घोंचू के दाव उल्टे पड़ गए पड़ गए जब जनता ने उसकी हरकतों से तंग आकर सत्तासीनों व प्रशासन को झकझोर दिया।
प्रदेश की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने जहरीली शराब पीने से मरने वाले व्यक्तियों के परिजनों को दो-दो लाख देने का निर्णय लिया है किंतु कुछ अहम सवाल जो पहले भी उठाए गए, अनुत्तरित हैं, वह यह है कि रुड़की के भगवानपुर क्षेत्र में लगभग साल भर पहले शराब पीने से हुई अनेकों मौतों से त्रिवेंद्र सरकार ने कोई सबक क्यों नहीं सीखा? क्यों नहीं ऐसी व्यवस्था की कि लोग जहरीली शराब को न पिएं।
प्रश्न यह भी उठता है कि क्या कुछेक स्थानीय लोग ही इस कार्य को करते हैं अथवा उनके पीछे पुलिस, प्रशासन अथवा नेताओं का हाथ है, यदि ऐसा है तो सरकार इस संबंध में जागरूक क्यों नहीं है?
महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि पथरिया पीर के जहरीली शराब कांड के लिए कौन-कौन लोग अथवा पदाधिकारी उत्तरदाई हैं जिन्हें इस तरह के कार्यों को रोकना व उनकी जांच करना चाहिए था और जिन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को सही प्रकार से अंजाम नहीं दिया।
त्रिवेंद्र सरकार से यह अपेक्षित था कि वह सभी जिम्मेदार अधिकारियों और क्षेत्रीय नेताओं के विरुद्ध जहरीली शराब कांड में जांच आयोजित करें तथा दोषी पाए जाने पर उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही करें। यहां जनता की व्यथा यह भी पाई गई है कि कई बार लिखित शिकायत करने के बाद भी पुलिस अधिकारियों ने घौंचू के विरुद्ध पूर्व में की गई शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं की, जो न केवल पुलिस व प्रशासन पर सवाल खड़े करता है बल्कि सत्ताधारी बीजेपी और उसके मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है।