इण्डियन मैडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स कारपोरेशन लि. ( IMPCL) पर विनिवेश की मार

अल्मोड़ा की मिनी रत्न कम्पनी इण्डियन मैडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स कारपोरेशन लि. ( IMPCL) पर विनिवेश की मार



देहरादून। अल्मोड़ा स्थित  भारत की मिनी रत्न  कंपनियों में शुमार इंडियन मैडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स कारपोरेशन लि. ( IMPCL) आयुष उत्पादों के लिए एक विशेष यूनिट थी जिसमें विभिन्न प्रकार की दवाओं का उत्पादन होता है दुर्भाग्यवश भारत सरकार ने भारत की इस मिनी रत्न कंपनी का विनिवेश करने का निश्चय किया है।


 सरकार के इस निर्णय से न केवल प्रदेश सरकार के राजस्व और उत्पादकता पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि इस कंपनी में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कार्य करने वाले हजारों लोगों को बेरोजगार भी होना पड़ सकता है।


प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार के आयुष मंत्री श्रीपद नायक को पत्र लिखकर आईएमपीसीएल के विनिवेश को रोकने का अनुरोध किया है उन्होंने क्षेत्र की विषमता का वर्णन देते हुए मंत्री से कहा है कि वे इस कंपनी के विनिवेश को रोककर प्रदेश में हजारों लोगों को बेरोजगार होने से बचाने की व्यवस्था करें।


 मुख्यमंत्री ने आईएमपीसीएल में  विनिवेश प्रक्रिया को तत्काल रोकने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि इण्डियन मैडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स कारपोरेशन लि. ( IMPCL) मोहान अल्मोड़ा के पर्वतीय क्षेत्र में स्थापित भारत सरकार का उद्यम है। उक्त उद्यम में लगभग 500 से अधिक कार्मिक प्रत्यक्ष तथा लगभग 5000 व्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। उक्त उद्यम लगातार लाभ अर्जित कर मिनी रत्न कम्पनी के रूप में अपना स्थान प्राप्त कर चुका है।    


IMPCL मोहान अल्मोड़ा पूर्णतः शास्त्रीय पद्धति पर आधारित दवा निर्माण कम्पनी के रूप में कार्य करते हुए स्थानीय स्तर से जड़ी-बूटी, गौमूत्र, कण्डे, मिट्टी के बर्तन, शहद आदि खरीद कर जहाँ एक ओर हजारों परिवारों को रोजगार प्रदान करने का कार्य कर रही है वहीं शास्त्रीय पद्धति में दवा निर्माण हेतु लोगों को पशुपालन मुख्यतः गौपालन, मौनपालन तथा जड़ी-बूटी उत्पादन हेतु भी प्रोत्साहित करती है।


मुख्यमंत्री ने कहा है कि संज्ञान में आया है कि वर्तमान में  IMPCL के विनिवेश की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा रही है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से उक्त उद्यम के  विनिवेश प्रक्रिया को तत्काल रोकने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित करने अनुरोध किया। इससे हजारों संख्या में किसानों, मौनपालकों, जड़ी-बूटी उत्पादकों, गौपालकों एवं मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों के परिवारों का रोजगार समाप्त होने से बच सकेगा और परम्परागत शास्त्रीय विधि से दवा निर्माण का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।