पिता के बिछाए जाल में पुत्र ही नहीं पोता भी उलझा

पिता के बिछाए जाल में पुत्र ही नहीं पोता भी उलझा



जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को सोमवार 5 अगस्त को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शेख अब्दुल्ला को उनके आवास पर ही हिरासत में रखा गया है और उसे ही अस्थायी जेल बना दिया गया है। पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।


दिलचस्प यह है कि पीएसए फारूक के पिता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने ही लागू किया था। लागू होने के बाद से ही यह कानून विवादों में रहा है। बताया जाता है कि यह कानून 1978 में शेख अब्दुल्ला ने लकड़ी तस्करों पर नकेल कसने के लिए बनाया था। आतंकवाद के दौर में कश्मीर में इस कानून का जमकर इस्तेमाल किया गया।


शेख अब्दुल्ला राजनीतिक पार्टी 'ऑल जम्मू एन्ड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस' के संस्थापक थे। इस पार्टी को अब 'जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC)' के नाम से जाना जाता है। शेख अब्दुल्ला के बेटे फ़ारूक़ अब्दुल्ला और पोते उमर अब्दुल्ला भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे।


वैसे, श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त से घर में नजरबंद हैं। उनके बेटे उमर भी उसी समय से हिरासत में हैं। इसी दिन कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त किया गया था।
यहाँ जो सम्बंध स्थापित हुआ है उसके अनुसार पिता के बिछाए जाल में पुत्र ही नहीं पोता भी उलझकर रह गया है।
तभी तो कहा जाता है जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे