रेलवे के अधिकारियों को न कानून की परवाह न देश के सम्मान की

रेलवे के अधिकारियों को न कानून की परवाह न देश के सम्मान की



देहरादून। देहरादून का रेलवे स्टेशन देश भर के रेलवे स्टेशनों में में एक विशिष्ट स्थान रखता है। पर्वतों की रानी मसूरी या पौराणिक महत्व की विश्व प्रसिद्ध दून घाटी, उत्तराखंड की राजधानी, या फिर केंद्रीय मुख्यालयों के देहरादून में स्थापित होने जैसे अनेकों कारणों से भी देहरादून रेलवे स्टेशन का अपना अलग ही महत्व है।
देहरादून रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर भवन की ऊंचाई तक गया भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा लहरा रहा है।
गौरतलब बात यह है कि देहरादून रेलवे स्टेशन के प्रांगण में भवन के बाहर ही लगा हुआ तिरंगा झंडा चौबीसों घंटे(24×7) लगा रहता है। बरसात के मौसम में भी यह तिरंगा झंडा अपनी छवि बिखेर रहा है।
तिरंगा झंडा स्थापित करना तथा उसकी नियमित देखभाल और मान सम्मान सम्मान बनाए रखना एक कानूनी विषय भी है।भारतीय  "फ्लैग कोड" के भाग 2 के अनुसार सार्वजनिक भवनों पर लगाए हुए राष्ट्रध्वज को सूर्योदय के उपरांत ही लगाया जा सकता है और सूर्योदय से पूर्व उतारा जाना आवश्यक है।
फ्लैग कोड के अनुसार राष्ट्रध्वज को भिगोया नहीं जा सकता जबकि बरसात का पूरा मौसम रेलवे स्टेशन के बाहर लगे इस ध्वज को भिगोता रहा है। स्वाभाविक है कि इससे राष्ट्रध्वज राष्ट्रध्वज का कपड़ा क्षीण अथवा कमजोर हुआ होगा या फिर किसी स्थिति में जीर्ण शीर्ण भी हो सकता है।
"वार्ता व्योम" के संवाददाता" के संवाददाता द्वारा देहरादून के रेलवे स्टेशन मास्टर से संपर्क किया गया जिन्होंने इस संबंध में कोई जवाब देने से इंकार कर दिया। इसके उपरांत स्टेशन अधीक्षक श्री डोभाल से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हमारे यहां तो यह झंडा चौबीसों घंटे लगा रहता है। इसे शाम को उतारा नहीं जाता। उन्हें बताए गए 'फ्लैग कोड' का भी संज्ञान लेना उन्होंने उचित नहीं समझा।
श्री डोभाल के रवैए से स्पष्ट है कि वे राष्ट्रध्वज का कितना सम्मान करते हैं और राष्ट्रीय ध्वज के लिए बने हुए 'फ्लैग कोड' का कितना अनुपालन करते हैं।