'सखी वन स्टाप सेंटर'  में पीड़ित महिलाओं को एक स्थान पर उपलब्ध होगीं विभिन्न सहायता

'सखी वन स्टाप सेंटर'  में पीड़ित महिलाओं को एक स्थान पर उपलब्ध होगीं विभिन्न सहायता



सखी वन स्टॉप सेंटर के अंतर्गत सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, विधि सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा सखी वन स्टॉप सेन्टर में उपलब्ध करायी जायेगी।


देहरादून। सखी वन स्टाप सेंटर, केन्द्र सहायतित योजना के अंतर्गत सर्वे चैक स्थित महिला छात्रावास परिसर में बने सखी वन स्टाप सेंटर में, जिसे पीड़ित महिलाओं के लिए एक विशिष्ट स्थान माना जा रहा है यहां पर महिलाओं को विभिन्न सुविधाएं जैसे  अस्थाई आश्रय,  पुलिस सहायता,  विधिक सहायता, काउंसलिंग आदि एक ही स्थान पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र रावत ने वन स्टॉप सेंटर का लोकार्पण करते हुए केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन में कई बार ऐसी समस्याएं आती हैं, जब आश्रय की जरूरत पड़ती है। सखी वन स्टाप सेंटर भी उन महिलाओं और बालिकाओं को सहारा देंगे जो कि तमाम वजहों से परेशान हैं। उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही अच्छा माहौल दिया जाएगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन में स्वच्छता बहुत जरूरी है। इस पर किसी तरह की हिचक नहीं होनी चाहिए। हाल ही में एक सर्वे आया था, कि माहवारी में स्वच्छता का ध्यान न रख पाने से महिलाओं में सर्वाइकल केंसर की सम्भावना बढ़ जाती है। राज्य सरकार ने सैनेटरी नैपकिन कम कीमत पर उपलब्ध करने की योजना संचालित की है। बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। अति कुपोषित बच्चों की उचित देखरेख के लिए गोद योजना शुरू की गई है। आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को सप्ताह में दो दिन निःशुल्क दूध उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने महिला छात्रावास परिसर का भी अवलोकन कर आवश्यक उपकरण व अन्य सुविधाएं उपलब्घ कराने की घोषणा की।  

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने कहा कि सखी वन स्टॉप सेंटर के अंतर्गत सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, विधि सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। इसका उद्देश्य एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से चिकित्सा, विधिक, मनौवैज्ञानिक सहायता करना है।