वरिष्ठ नागरिकों को मिले बैंको में उनके जमा पर अधिक राहत छल कपट व अपराधिक कृत्यों से सुरक्षा
वरिष्ठ नागरिक विशेषकर सेवानिवृत्त व्यक्ति जिन्हें सेवानिवृत्ति के समय अच्छी खासी रकम उनके आगामी जीवन यापन के लिए सामाजिक सुरक्षा के रूप में मिलती है, ऐसे व्यक्ति इस जमा पूंजी को अन्य निवेशों के स्थान पर बैंक में रखना अधिक सुरक्षित व सुविधाजनक मानते हैं जो स्वभाविक भी है।
बढ़ती उम्र में बीमारियों का साथ चोली दामन जैसा हो जाता है और ऐसी स्थिति में अचानक किसी बड़ी रकम की जरूरत पड़ सकती है। यदि बैंक जमा के अतिरिक्त किसी अन्य माध्यम में वरिष्ठ नागरिकों द्वारा जीवन भर की जमा पूंजी को निवेश किया जाता है तो संभव है कि उन्हें अतिरिक्त लाभ मिल सकता है किंतु इस उम्र में लाभ से अधिक उपयोगिता की बात सोचनी जरूरी हो जाती है। ऐसा ना हो की इस अवस्था में उनके पास अपने जीवन यापन और स्वास्थ्य के लायक भी संसाधन समय पर उपलब्ध ना हो सकें। यह भी देखा गया है कि अपने परिजन ही धन के अभाव में अथवा धन के लालच में वरिष्ठ नागरिकों का साथ छोड़ देते हैं।
उपरोक्त सभी परिस्थितियों के मद्देनजर बैंकों में जमा धन सुरक्षित होने के साथ-साथ समय पर उपलब्ध भी हो जाता है। इसलिए बैंकों में जमा किया गया धन अधिक सुविधाजनक माना गया है।
अब प्रश्न यह उठता है कि बैंकों में जमा किए गए धनराशि के प्रतिफल के रूप के रूप में तथा उस जमा राशि पर दिए जाने वाले आयकर के रूप आयकर के रूप के रूप में अथवा जमा राशि को समय समय समय निकालने के लिए की गई व्यवस्थाओं के रूप में बैंक वरिष्ठ नागरिकों को कितनी और कैसी राहत अथवा सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार उनके यहां वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित करीब चार करोड़ खाते हैं तथा वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के रूप में उनके पास जो विकल्प है उसमें वरिष्ठ नागरिक 15 लाख रुपए तक जमा कर सकता है और इस पर मौजूदा ब्याज की दर 8.6% है। इस योजना की अवधि 5 साल की है इसे 3 साल और बढ़ाया जा सकता है।
एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट में सरकार से अपेक्षा की गई है कि सरकार वरिष्ठ नागरिक बचत योजना एससीएसएस अर्जित ब्याज को आयकर से पूरी तरह मुक्त रखे। वर्तमान में एससीएसएस के ब्याज पर पूर्ण कर लगता है जो इस योजना की सबसे बड़ी अड़चन है। इस योजना में 5 साल के लिए ₹1लाख की जमा पर ₹51 हजार ब्याज बनता है। यह ब्याज आयकर के दायरे में आता है बैंक ने बताया कि 4 करोड़ से अधिक वरिष्ठ नागरिकों की एफडी एसबीआई में है। रिपोर्ट के अनुसार अगर बैंक की ओर से से जमा पर आधार अंकों की कटौती की जाती है तो कर्ज पर 45 से 50 अंकों की कमी होती है।
वरिष्ठ नागरिकों विशेषकर सेवानिवृत्त व्यक्तियों के पास उम्र की इस दहलीज पर कोई आय का जरिया नहीं रह जाता। ऐसे में उनके जमा पर यदि सामान्य रूप से लगने वाला आयकर लगता है तो उनके पास आय के विकल्प बहुत कम रहे जाते हैं। साथ ही उनकी जमा राशि भी समय के साथ-साथ कम होती जाती है।दूसरी तरफ अगर यह राशि लंबे समय के लिए जमा की जाती है तो उनके पास आय के विकल्प नहीं रहते ना ही वे अपने सामान्य खर्चों के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था करने की स्थिति में रहते हैं। ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों को सरकार से अपेक्षा रहती है कि बैंकों में उनके जमा धन पर उन्हें न केवल केवल पर्याप्त ब्याज मिले अपितु यह ब्याज आयकर से पूर्णत: मुक्त हो साथ ही आवश्यकता के अनुसार वरिष्ठ नागरिक अपनी जमा पूंजी को किसी भी समय बैंक से निकाल सकें अथवा ब्याज के रुप में मासिक आय का प्रावधान हो।
वरिष्ठ नागरिकों के विरुद्ध बढ़ते हुए अपराधों को देखते हुए भी उनकी सरकार से अपेक्षा हो जाती है की बैंकों में उनकी जमा पूंजी को कोई भी व्यक्ति भले ही ऐसा व्यक्ति संबंधित वरिष्ठ नागरिक का परिजन ही क्यों ना हो दुर्भावना वश अथवा किसी षड्यंत्र के अंतर्गत ना निकाल सके, इसकी व्यवस्था व्यवस्था सके, इसकी व्यवस्था व्यवस्था निकाल सके, इसकी व्यवस्था व्यवस्था के अंतर्गत ना निकाल सके, इसकी व्यवस्था व्यवस्था सके, इसकी व्यवस्था व्यवस्था, इसकी व्यवस्था की जाए।