अब सिर्फ पंद्रह मिनट में होगा दिल का इलाज, जानिये कैसे

अब सिर्फ पंद्रह मिनट में होगा दिल का इलाज, जानिये कैसे



देहरादून। हार्ट अटैक जैसी घातक बीमारी का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छों की हवाइयाँ उड़ने लगती हैं। कलेजा मुँह को आने लगता है।
सभी जानते हैं की हृदयघात में बड़ा ओपरेशन  होता है। लम्बे समय के लिये मरीज को तो अस्पताल में रहना पड़ता ही है, उसके साथ-साथ तीमारदारों को भी अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं, अत्याधिक खर्च और भाग-दौड़ के बाद भी शरीर में फिट किये गए उपकरणों की प्रतिक्रिया भी मरीज के निदान में एक बड़ा प्रश्न खड़ा कर देती है।
ददेहरादून के कैलाश अस्पताल ने हार्ट अटैक यानि हृदयघात के रोगियों के लिए बिना किसी चीरफाड़ या दूसरी परेशानी के, वह भी पहले के तरीकों से बहुत कम खर्च में हार्ट अटैक के रोगियों का इलाज करने का रास्ता खोज निकाला है।


कैलाश अस्पताल और हृदय संस्थान ने दुनिया के सबसे छोटे पेसमेकर हो मरीज के दिल में प्रत्यारोपित करके कीर्तिमान रच दिया है। यह पेसमेकर हार्ट ब्लॉक से भी पीड़ित रोगी में प्रत्यारोपित किया गया। यह जानकारी एक प्रेस वार्ता के द्वारा कैलाश अस्पताल द्वारा दी गई।


बता दें कि हार्ट ब्लॉक की बीमारी में दिल बहुत धीमी गति से धड़कता है। जिसकी वजह से हृदय शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त देने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में चक्कर आना, थकान, सांस फूलना, बेहोशी और कभी-कभी मौत भी हो सकती है। वर्तमान में इस बीमारी का एकमात्र इलाज पेसमेकर ही है। 


माइक्रा पेसमेकर है कामयाब




अस्पताल के अनुसार मरीज 79 वर्ष के बुजुर्ग के थे जो हार्ट ब्लॉक, एनीमिया, किडनी की बीमारी, पुराना तपेदिक और त्वचा रोग से पीड़ित है। उनको डॉक्टरों द्वारा पेसमेकर प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। पेसमेकर प्रत्यारोपण के लिए छाती पर एक चीरा लगाना पड़ता है जिसके बाद फ्लैट और पॉकेट का निर्माण होता है जिसमें माचिस के आकार का पेसमेकर डाला जाता है। या पेसमेकर लगभग 1 फुट लंबे पेंसिंग लीड के जरिए दिल से जुड़ा होता है जो नसों से दिल तक पहुंचते हैं।


मरीज को उम्र और बीमारियों के लिहाज से माइक्रा पेसमेकर लगाने की सलाह दी गई। यहां विटामिन कैप्सूल के आकार का उपकरण केवल 0.8 सीसी बड़ा होता है जिसका वजन महज 2 ग्राम है। दुनिया के इस सबसे छोटे पेसमेकर को कैथेटर द्वारा सीधे हृदय में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। यह रोगी के अनुकूल होता है क्योंकि यह कोई निशान नहीं बल्कि सहज ही लाए जा सकने वाले माइक्रा उपकरण का प्रयोग होता है।


चिकित्सकों के अनुसार माइक्रा ट्रांसप्लांट करने में महज पंद्रह मिनट का समय लगता है और मरीज उसी दिन चलने-फिरने लगता है। जबकि अगले ही  दिन मरीज को छुट्टी दी जा सकती है। 


कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टर राज प्रताप सिंह ने बताया कि यह लीड रहित पेसमेकर उन रोगियों के लिए वरदान है जिन पर पारंपरिक पेसमेकर लगाने के कई प्रयास विफल हो गए थे या उन्हें सारी बाधाओं के कारण प्रत्यारोपित नहीं किया जा सका था।  पेसमेकर प्रत्यारोपण टीम में डॉक्टर राज प्रताप सिंह कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख, डॉक्टर अखिलेश पांडे, डॉक्टर एसपी गौतम, डॉक्टर के जी शर्मा और सर्जरी टीम ने मिलकर अंजाम दिया।


प्रेस वार्ता के दौरान डॉक्टर राज प्रताप सिंह के साथ डॉ आतिश सिन्हा और कैलाश हॉस्पिटल के निदेशक पवन शर्मा भी मौजूद रहे।