स्नान ध्यान और मोक्ष का माह है कार्तिक
- जो व्यक्ति इस महीने में मेरी पूजा करेगा उसे यमलोक और स्वर्गलोक नहीं सीधा बैकुंठ की प्राप्ति होगी और वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाएगा-भगवान विष्णु
भगवान विष्णु एवं विष्णु तीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है। कार्तिक मास कल्याणकारी मास माना जाता है। कार्तिक मास का माहात्म्य पद्मपुराण तथा स्कन्दपुराण में बहुत विस्तार से उपलब्ध है। पुराणों के मतानुसार, इस मास को चारों पुरुषार्थों-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। स्वयं नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुणसम्पन्न माहात्म्य के सन्दर्भ में बताया है। कार्तिक मास को रोगापह अर्थात् रोगविनाशक कहा गया है। सद्बुद्धि प्रदान करने वाला, लक्ष्मी का साधक तथा मुक्ति प्राप्त कराने में सहायक बताया गया है।
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास वर्ष भर में एक विशेष महत्व का महीना माना जाता है इस पूरे महीने के दौरान भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं और उनकी प्रिया लक्ष्मी जी उनके साथ निवास करती हैं इसी माह में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने दैत्य तारकासुर का वध किया था इसलिए भी इस मास को कार्तिकेय की विजय स्मरण करते हुए कार्तिक मास कहा जाता है।
कल सोमवार से कार्तिक कृष्ण पक्ष का आरंभ हो चुका है। साल के 12 महीनों में से कार्तिक का महीना सबसे उत्तम और पवित्र माना गया है। पुराणों के अनुसार इस मास में भगवान विष्णु नारायण रूप में जल में निवास करते हैं। इसलिए कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक नियमित सूर्योदय से पहले नदी या तालाब में स्नान करना दूध से स्नान का पुण्य देता है। धार्मिक दृष्टि से इस महीने का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी माह में कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था। कुमार कार्तिकेय के पराक्रम को सम्मान देने के लिए ही इस माह का नाम कार्तिक रखा गया है।
ज्योतिष के अनुसार कार्तिक के महीने को बहुत ही शुभ और पवित्र महीना माना जाता है। कार्तिक मास 14 अक्टूबर से 12 नवंबर तक रहेगा। कार्तिक के महीने में स्नान दान और उपवास करने से सभी कष्टों से मुक्ति बहुत आसानी से मिल जाती है। इस महीने में भगवान शिव और विष्णु तथा कार्तिकेय और तुलसी की पूजा अर्चना से विशेष मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
कार्तिक मास के महात्म्य में बताया गया है कि एक गणिका थी। जवानी ढलने लगी तो उसे मृत्यु और उसके बाद की स्थिति का विचार परेशान करने लगा। एक दिन वह एक ऋषि के पास गई और अपनी मुक्ति का उपाय पूछा। ऋषि ने गणिका को कार्तिक स्नान का महात्म्य बताया। गणिका हर दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके तट पर दीप जलाकर भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करने लगी। इस पुण्य के प्रभाव से बिना कष्ट शरीर से उसके प्राण निकल गए और दिव्य विमान में बैठकर बैकुंठ चली गई।
कार्तिक मास की महीमा का वर्णन करते हुए एक कथा देवी रुक्मिणी की भी है। पद्म पुराण के अनुसार पूर्वजन्म में रुक्मिणी गंगा तट पर रहने वाली एक विधवा ब्राह्मणी थीं। वह नियमित रूप से गंगा स्नान करके तुलसी की पूजा किया करती थीं और भगवान विष्णु का ध्यान करती थीं। कार्तिक मास की ठंड में एक दिन स्नान करके पूजा करने के क्रम में इनकी आत्मा को शरीर से मुक्ति मिल गई। इनकी आत्मा के पास पुण्य की इतनी पूंजी थी कि उन्हें देवी लक्ष्मी के समान स्थान प्राप्त हो गया। इसी पुण्य के प्रभाव से वह भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी बनीं।
कार्तिक महात्म्य का वर्णन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा को बताया था कि वह पूर्वजन्म में भगवान विष्णु की पूजा किया करती थीं। जीवन भर कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करके वह तुलसी को दीप दीखाती थीं। इस पुण्य से सत्यभामा श्रीकृष्ण की पत्नी हुईं। भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि कार्तिक का महीना सभी महीनों में मुझे अति प्रिय है। जो भी व्यक्ति इस महीने में अन्नदान, दीपदान करता है उस पर कुबेर महाराज भी कृपा करते हैं।
एक कथा के अनुसार शंखासुर नामक असुर ब्रह्माजी से वेदों को चुराकर भाग रहा था। वेद उनके हाथों से छूटकर समुद्र में प्रवेश कर गए। देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने कहा कि मैं मछली का रूप धारण करके अभी वेदों को लाता हूं। उसी समय भगवान ने कहा कि अबसे कार्तिक के महीने में सभी वेदों के साथ मैं स्वयं जल में रहूंगा। इस महीने में नियमित स्नान पूजन करने वाले पर कुबेर भी कृपा करेंगे। जो धर्मात्मा व्यक्ति इस महीने में मेरी पूजा करेगा उसे यमलोक और स्वर्गलोक नहीं सीधा बैकुंठ की प्राप्ति होगी और वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाएगा।
कार्तिक महीने में सूर्य तुला राशि अर्थात अपनी नीच राशि में होते हैं इसी कारण सूर्य की विशेष पूजा-अर्चना से मान-सम्मान की प्राप्ति की जा सकती हैं। कार्तिक के महीने में सूर्य उदय होने से पहले का स्नान विशेष फलदायी होता है और सूर्य उदय होने से पहले की गई पूजा मान सम्मान तथा धन की प्राप्ति कराती है।